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डीएसवीवी में मिलती है मिनी इंडिया की झलक, विश्वविद्यालय में अध्ययनरत हैं २2 से अधिक राज्यों के लगभग ८२२ विद्यार्थी
देसंविवि, हरिद्वार : 28 राज्य, 1618 भाषाएं, 6400 जातियां, 6 धर्म, 6 एथनिक ग्रुप और 29 मुख्य पर्व त्यौहार, हमारे देश भारत की मुख्य पहचान हैं। यहां दीवाली में अली और रमजान में राम बसते हैं। हमारी एकता और अखंडता की मिसालों से इतिहास भरा पड़ा है। इसी मिसाल में एक नाम और जुड़ता है उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में स्थापित देव संस्कृति विश्वविद्यालय का।
भारतीय परंपराओं को पुनर्जीवंत एवं जाग्रत करने के लिए अखिल विश्व गायत्री परिवार ने इस विश्वविद्यालय की स्थापना की। स्थापना के १० वर्षों की यात्रा में इस विश्वविद्यालय ने कई आयामों को छुआ। यह विश्वविद्यालय भारत की विविधता में एकता की विशेषता का एक जीता-जागता उदाहरण है।
वर्तमान में यहां २२ से अधिक राज्यों के लगभग ८२२ विद्यार्थी विभिन्न विषयों के अंतर्गत शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। जिनमें उत्तर प्रदेश के ३५१, उत्तराखंड के १००, मध्य प्रदेश के ९६, बिहार के ८४, छत्तीसगढ़ के ६३, राजस्थान के ३४, झारखंड के २९, दिल्ली के ११, हरियाणा के 9, हिमाचल प्रदेश के ६, उड़ीसा के ५, पंजाब के 5, गुजरात के 5, आंध्रप्रदेश के 4, महाराष्ट्र के 4, जम्मू एवं कश्मीर के 2, अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल के क्रमश: एक-एक और अन्य राज्यों के ११ विद्यार्थी शामिल हैं।
विविध भाषाओं एवं विविध क्षेत्रीय संस्कृति से होने के बावजूद इन विद्यार्थियों का परस्पर प्रेम, सहयोग एवं समन्वय देखते ही बनता है। इसका श्रेय जहां एक ओर विश्वविद्यालय के आध्यात्मिक वातावरण को जाता है, वहीं दूसरी ओर कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं स्नेह सलिला जीजी का वात्सल्य एवं यहां के शिक्षकों का कुशल मार्गदर्शन विद्यार्थियों में उत्पन्न स्व:अनुशासन उन्हें प्रेम और सौहार्द से जीना एवं रहना सिखाता है। एकता एवं सदभावना से ओतप्रोत ज्ञान के इस पावन मंदिर में शिक्षा के साथ विद्या का समावेश इसकी विभिन्न विशेषताओं में चार चांद लगाता है।
यहां के हर पल त्यौहारों के रंग सजते हैं और सबको भारतीय रंग में रंग देते हैं। यह एक ऐसा परिवार है जो विविधता लिए हुए है, परंतु इसके हर सदस्य के चेहरे एक ही मुस्कान बिखरती है, वह है एकता की दिव्य मुस्कान। हां अगर आपको इस ‘मिनी भारत’ के दर्शन करने हैं तो चल दीजिए, गंगा की गोद और हिमालय की छाया में अवस्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय के दिव्य प्रांगण की ओर, यहां विविधता में खिले एकता के पुष्प आपका स्वागत करने के लिए सदैव तत्पर हैं।
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DEV SANSKRITI VISHWAVIDYALAYA
Gayatrikunj – Shantikunj, Haridwar- 249411 Uttarakhand, INDIA.
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