|| मोरक्को, अफ्रीका ||
179 देशों के सांसदों से सम्मेलन में भी गूंजी पूज्य गुरुदेव के विचारों की आवाज
पूज्य गुरुदेव का कथन- ‘ युग परिवर्तन जैसा महत्त्वपूर्ण कार्य मनुष्य के विचार परिवर्तन से ही प्रारंभ होगा’ के साकार होने की प्रक्रिया की आहट को तब सुना गया जब अंतर-संसदीय संघ (संयुक्त राष्ट्र संघ को स्थापित करने वाली संस्था में से एक) द्वारा एक वृहद वैश्विक सम्मेलन का आयोजन किया गया। ज्ञात हो कि अंतर-संसदीय संघ के 179 देश सदस्य हैं और ये इनका प्रथम वैश्विक सम्मेलन था जिसमें 70 देशों के संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने व 20 से अधिक देशों के संसद के अध्यक्षों ने भाग लिया।
ये अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन मार्राकेश, मोरक्को में संपन्न हुआ जहां देव संस्कृति विश्वविद्यालय के माननीय प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या जी ने गायत्री परिवार का प्रतिनिधित्व करते हुए 700 से अधिक प्रतिभागियों को संबोधित किया और उन्हें पूज्य गुरुदेव एवं वंदनीया माताजी के वसुधैव कुटुंबकम् के भाव से परिचित कराया । इस प्रतिष्ठित अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में वे एकमात्र भारतीय प्रतिनिधि वक्ता के रूप में उपस्थित रहे जिन्हें प्रतिवादी वक्ता होने का भी विशेष सम्मान प्राप्त हुआ।
आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या जी के माध्यम से पूज्य गुरुदेव के विचारों को बड़े ध्यान से सुन रहे विशिष्ट अतिथियों में हाउस ऑफ लॉर्ड्स के माननीय सदस्य लॉर्ड एल्टन भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के उपरान्त ट्विटर के माध्यम से उद्बोधन की सराहना करते हुए उन्होंने लिखा कि- संस्कृत साहित्य के उद्धरण से भारत के डॉ चिन्मय पंड्या ने सृष्टि एवं हमारे संबंधों पर प्रकाश डालने के साथ ही समाज को अपने अस्तित्व के मूलभूत प्रश्नों के अन्वेषण की सामयिक अवश्यकता की बात कही।